कांग्रेस मजबूत विपक्ष बनाती तो राहुल गांधी की सदस्यता खत्म नहीं होती ,,संजय गुर्जर
झुग्गी झोपड़ी रिपोर्टर
दादरी 29 मार्च भारत बचाओ, संविधान बचाओ आंदोलन के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय गुर्जर ने पत्रकारों से चर्चा में कहा है कि खड़गे के आवास पर विपक्षी दलों की बैठक राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता खत्म होने को लेकर आयोजित की गई है लेकिन इस बैठक में कोई ठोस विकल्प पर बात नहीं होना यही दर्शाता है कि कुछ दल तो आगामी समय में प्रधानमंत्री पद की दावेदारी को मजबूत करने आए थे। बड़ी विडंबना यह है कि मजबूत आधार किसी भी दल के पास नहीं है। ममता दीदी, नीतीश कुमार सरीखे नेता प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं लेकिन महत्त्वपूर्ण सवाल यह है कि आखिर बनेंगे कैसे? उत्तर प्रदेश में इन दोनों ही दलों का कुछ भी आधार नहीं है और उत्तर प्रदेश देश का जनसंख्या के आधार पर लगभग तीसरा भाग है। यहां 80 लोकसभा की सीट है और इन दोनों दलों का एक प्रतिशत भी आधार यहां नहीं है, तो ताज्जुब करने वाली बात यह है कि यह सपना तो इनका कहीं से कहीं तक पूरा होता दिख नहीं रहा। फिर यह प्रधानमंत्री पद की दौड़ कैसी है? रहा सवाल कांग्रेस का, तो यूपी में कांग्रेस भी मृत्युशय्या पर है क्योंकि कांग्रेस के पुराने नेता नई राजनीतिक जमीन तैयार नहीं होने देना चाहते हैं। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष दलित समाज से हैं, एक बार जालौन सुरक्षित सीट से बसपा के लोकसभा सदस्य रहें हैं। खुद जाति में उनका कोई आधार है नहीं तो अन्य जातियों में तो हो ही नहीं सकता क्योंकि पूरे प्रदेश को पता है कि दलित वोट बड़ी संख्या में बहनजी के साथ है। तो मेरा सवाल कांग्रेस के बड़े नेताओं से है कि जब वोट का कोई लाभ ही नहीं है तो प्रदेश अध्यक्ष बनाने का मकसद क्या था? दूसरा कांग्रेस की सबसे बड़ी कमी यह रही है कि पिछले बीस साल से कांग्रेस पुरानी जमीन की खेती को खा रही थी, सत्ता में रहते हुए न मजबूत विकल्प बना पाए और न मजबूत विपक्ष बना पाए। अगर मजबूत विपक्ष होता तो राहुल गांधी जी की सदस्यता खत्म करने से पहले हजार बार सोचा जाता।