अपनी लोक संस्कृति और पुरखों की विरासत सहेज रहा महोत्सव: प्रो0गिरीश

अपनी लोक संस्कृति और पुरखों की विरासत सहेज रहा महोत्सव: प्रो0गिरीश

मंच पर हुआ विभूतियों का सम्मान

कवियों के काव्यपाठ और संन्तों के आशीष के साथ हुआ भव्य समापन

करछना, प्रयागराज। आजादी के अमृत महोत्सव को समर्पित सात दिवसीय24 वें जमुनापार महोत्सव का मंगलवार देर रात भव्य समापन हुआ। मंच पर पहुंचे समारोह के मुख्य अतिथि बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति, उच्च शिक्षा आयोग के अध्यक्ष प्रोफेसर गिरीश चन्द्र त्रिपाठी ने आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि महोत्सव निश्चित रूप से एक ही मंच पर अपने कवियों, कलाकारों, साहित्यकारों, सन्तों, समाजसेवियों और विभिन्न क्षेत्र की प्रतिभाओं को संजोकर अपनी पुरखों की विरासतऔर लोक संस्कृति का संवाहक बन चुका है। आज के बदलते दौर में अपनी इस विरासत को सहेजना बहुत जरूरी है जो हमारे लोकपरंपरा आस्था, संस्कृति और राष्ट्र की पहचान है। सभीअतिथिजनों का स्वागत करते हुए महोत्सव के संयोजक डॉ भगवत पांडेय ने कहा कि अपनी प्रीति रीतिऔर नीति को एक ही मंच पर जीवंत कर रहा यह महोत्सव अपनी विभूतियों के आशीष के साथ अनवरत आगे बढ़ रहा है और पूरे जमुनापार में एक मिशाल बनकर नई पीढ़ी को भी संदेश दे रहा है। उन्होंने सात दिवसीय महोत्सव में पधारे सभी विशिष्टजनों और श्रोताओं का स्वागत आभार प्रकट किया। इसके पूर्व नन्हे-मुन्ने बच्चों ने मनमोहक रंगोलियां सजाई और लोकनृत्य प्रस्तुत कर समापन समारोह में खूब समा बांधी।पहले सत्र के मुख्यअतिथि आकाशवाणी दूरदर्शन के निदेशक लोकेश शुक्ला ने आयोजन की प्रशंसा करते हुए अपनी प्रस्तुत ग़ज़ल में जिंदगी के मर्म को बखाना तो वहीं रामलोचन सांवरिया, नीलिमा मिश्रा, फतेह बहादुर सिंह ऋषिराज, और कवि जीतेंद्र जलज ने अपने काव्य पाठ से समापन समारोह को अनुरंजित करते हुए खूब तालियां बटोरी।महोत्सव की परंपरा के अनुरूप मंच पर अमरशहीद संतोष तिवारी के पिता रामानंद तिवारी,तमिल के तुलसी डॉ.एम गोविंद राजन,निदेशक लोकेश शुक्ल समेत जमुनापार महोत्सव से प्रेरणा लेकर चल रहे शंकरगढ़ महोत्सव के संयोजक सूर्य निधान पांडेय, कोरांव महोत्सव के संयोजक शशि द्विवेदी, डॉ.अनिल पांडेय, मेजा महोत्सव के अभिषेक तिवारी,करछना के विपिन सिंह परिहार, कौंधियारा महोत्सव के संयोजक मुकेश शुक्ला को साल और प्रयागदर्शन प्रदान कर मुख्य अतिथि द्वारा मंच पर सम्मानित किया गया। रामकथा के मुख्य प्रवाचक स्वामी विनोदानन्द सरस्वती जी महाराज ने जमुनापार की थाती को संभाल रहे अपनी विभिन्न क्षेत्र की प्रतिभाओं को एक मंच पर संजोने के लिए महोत्सव की प्रशंसा करते हुए आशीष प्रदान किया। प्रधानाचार्य मनीष तिवारी ने कथा श्रवण करने आए भक्तजनों कवियों कलाकारों सन्तों के प्रति आभार प्रकट किया। पहले सत्र का संचालन राजेंद्र शुक्ल और समापन समारोह का संचालन महोत्सव के कार्यक्रम समन्वयक हास्य कवि अशोक बेशरम ने किया। भव्य आरती के साथ पांण्डाल श्रीराम के जयकारों से गूंज उठा। प्रसाद वितरण के बाद महोत्सव का सुखद समापन हुआ। इस मौके पर विधायक करछना पियूष रंजन निषाद,ब्लॉक प्रमुख प्रतिनिधि कमलेश द्विवेदी, भानुअग्रवाल, डॉ.मणिशंकर द्विवेदी, समाज शेखर, गजेन्द्र प्रताप सिंह, योगेंद्र शुक्ला डॉ.दिनेश सोनी, संकठा प्रसाद द्विवेदी, मोहिनी श्रीवास्तव, शोभनाथ द्विवेदी, अजय सिंह,संतोष मिश्रा, कमला शंकर त्रिपाठी,जितेंद्र कुमार, विजय पाल,संतोष शुक्ला समर्थ समेत जमुनापार के कई क्षेत्रों से बड़ी संख्या में आये गणमान्य लोग और विद्यालय के छात्र मौजूद रहे।

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