तब्लीग़ी मजलिस में क़ुरआन और हदीस की रौशनी में दिया जा रहा इन्सानियत का दर्स
प्रयागराज :-दरियाबाद के कोठी आग़ा अली खां (महमूद मंज़िल) में अन्जुमन हाशिमया अमजदया की ओर से मरहूम मौलाना सैय्यद अमजद हुसैन की याद में छाछठवें दौर की तब्लीग़ी मजलिस में प्रथम दिन पहली मजलिस मौलाना ज़रग़ाम हैदर दूसरी मजलिस मौलाना आबिद रिज़वी व तीसरी मजलिस को मौलाना व इमाम ए जुमा कौशाम्बी सैय्यद ज़मीर हैदर रिज़वी साहब क़िब्ला ने खिताब किया।वहीं ओलमा ए कराम ने क़ुरआन और हदीस की रौशनी में एक शौहर के अपनी बीवी एक बीवी के अपने शौहर और एक बेटे और बेटी को उसके मॉ और बाप के प्रति कैसा किरदार निभाना चाहिते और क्या हुक़ूक़ है इसका दर्स दिया।पैग़म्बर रसूल ,इमाम अली ,जनाबे फात्मा व अहलेबैत ए अतहार की गुज़ारी गई ज़िन्दगी से दर्स लेकर अपने नफ्स और इमान को पाक और शफ्फाफ बना कर रखना चाहिये।ताकि जब इस दुनिया से जाएं तो क़ब्र में मुनकरनकीर सवाल करें तो हम अपने किरदार और अमल की बुनियाद पर खरे उतर सकें।उम्मुल बनीन सोसायटी के महासचिव सैय्यद मोहम्मद अस्करी के अनुसार तब्लीगी मजलिस के दूसरे दिन सुबहा की मजलिस को मौलाना इरफान हैदर रिज़वी ,शाम की मजलिस को फ़ज़ल मुमताज़ खां साहब जौनपुर और रात की आखरी मजलिस को शेख मेंहदी हसन वायज़ अम्बेडकरनगर जलालपुर ने खेताब करते हुए जहां स्व मौलाना अमजद हुसैन साहब क़िब्ला की ज़िंदगी पर तफसीली रौशनी डाली वहीं करबला के शहीदों का मार्मिक अन्दाज़ में ज़िक्र किया।मजलिस में आग़ा सरदार अली खां,मंज़र अली खां,मशहद अली खां,नासिर अब्बास शहवेज़ ,हुसैन खां ,ज़ौरेज़़ हैदर सहित बड़ी संख्या में अक़ीदतमन्दों ने शिरकत की।