बहुजन बाहुल्य बस्तियों में प्रबुद्ध पाठशाला खोलने का बुद्धिजीवियों ने किया स्वागत
प्रयागराज 29 फरवरी, प्रबुद्ध फाउंडेशन के प्रबंधक/सचिव उच्च न्यायालय के अधिवक्ता आईपी रामबृज द्वारा गणतंत्र दिवस की 74 वीं वर्षगांठ पर यमुनापार की तहसील बारा के अन्तर्गत आने वाला थाना घूरपुर की ग्रामसभा दौना में प्रबुद्ध फाउंडेशन द्वारा संचालित प्रबुद्ध पाठशाला की स्थापना पर उपस्थित सैकड़ो बच्चों और उनके अभिभावकों को एक ओर जहां देश की आजादी और गणतंत्र दिवस के विषय मे विस्तार से बताया तो वही दूसरी ओर बहुजन साहित्य, कला और संस्कृति के साथ बहुजन रंगमंच के विकास, संरक्षण, संवर्धन और उसके पुनर्स्थापत्य के साथ बहुजन समाज के बच्चों के शैक्षिक विकास हेतु प्रत्येक बहुजन बाहुल्य बस्तियों में प्रबुद्ध पाठशाला खोले जाने का निर्णय लिया है। प्रबुद्ध पाठशाला में बहुजन समाज के सात से सत्रह आयु वर्ग यानी प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्तर के बच्चों के सृजनात्मक, कलात्मक और व्यक्तित्व विकास व बहुजन साहित्य, कला और संस्कृति के साथ-साथ बहुजन रंगमंच के पुनर्स्थापत्य की दिशा में प्रत्येक बच्चों को रूबरू कराया जाएगा। प्रबुद्ध पाठशाला की कक्षाये प्रत्येक रविवार को दोपहर 12:00 से अपराहन 3:00 बजे तक चलेगी साथ ही साथ बहुजन बाहुल्य बस्तियों के समर्पित बुद्धिजीवी यदि चाहें तो यह पाठशाला प्रतिदिन अपराहन 4:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक भी चलाई जा सकती है।
आईपी रामबृज ने बताया की प्रबुद्ध पाठशाला में प्रवेश लेने वाले प्रत्येक बालक व बालिकाओं के सर्वांगीण विकास हेतु उन्हें योगा, पीटी व उनके सृजनात्मक, कलात्मक और व्यक्तित्व विकास हेतु सांस्कृतिक कार्यक्रमो में नृत्य, नाटक व गायन की विविध कला रूपो के विषय मे प्रशिक्षित कराकर अनेकों प्रस्तुतिपरक गतिविधियां कराई जाएंगी। सभी बच्चों को बहुजन समाज के महापुरुषों के जीवन से भी रूबरू कराया जाएगा और बहुजन महापुरुषों के जीवन पर आधारित नृत्य, नाटक और गायन की विविध कला रूपों में प्रशिक्षित किया जाएगा। प्रशिक्षण के उपरांत बच्चों को गांव से लेकर शहर तक सम्मानजनक मंच या प्रेक्षागृह में प्रस्तुतियां कराई जाएंगी। निश्चित ही आज बहुजन बाहुल्य बस्तियों में सामाजिक, सांस्कृतिक और साहित्यिक गतिविधियों का बीजारोपण प्रबुद्ध पाठशाला के द्वारा किया जा रहा है और आने वाले पचास वर्षो में बहुजन समाज के राजनैतिक परिदृश्य में बहुत बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। रंग बिरंगी भारतीय संस्कृति में बहुजन समाज का अपनी भी सांस्कृतिक विरासत देखने को मिलेगी।