सुप्रसिद्ध कवित्री प्रमिला भारती साहित्य भूषण के सम्मान में हुई काव्य गोष्ठी व सम्मान समारोह
अखिल भारतीय अंबिका प्रसाद दिव्य एवं जगदीश किंजल्क स्मृति साहित्य संस्थान प्रयागराज के तत्वावधान में सुप्रसिद्ध कवित्री प्रमिला भारती ,साहित्य भूषण सम्मान से सम्मानित के दिल्ली से प्रयागराज आगमन पर उनके सम्मान में काव्य गोष्ठी व सम्मान समारोह का आयोजन चकिया स्थित श्रीमती विजयलक्ष्मी विभा कवित्री के आवास साहित्य सदन, 149 जी/2 चकिया प्रयागराज में धूमधाम से संपन्न हुआ जिसमें मुख्य अतिथि के तौर पर प्रमिला भारती ,साहित्य भूषण रही ,विशिष्ट अतिथि डॉक्टर शंभू नाथ त्रिपाठी अंशुल रहे, अध्यक्षता डॉक्टर राजकुमार शर्मा व संचालन डॉक्टर प्रदीप चित्रांशी ने किया ,संयोजन विजयलक्ष्मी विभा, मीडिया प्रबंधन का कार्य श्याम सुंदर सिंह पटेल ने किया कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती के प्रतिमा पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्वलन के साथ हुआ ,सरस्वती वंदना की प्रस्तुति कविता उपाध्याय ने किया तत्पश्चात सभी उपस्थित अतिथियों व कवियों को माल्यार्पण कर सम्मानित किया गया तत्पश्चात सभी का स्वागत विजयलक्ष्मी विभा ने किया व अपनी रचना पढ़ी, कोई मौसम का हाल क्या जाने कब बदल देगी रुख हवा जाने …..,शंभू नाथ त्रिपाठी अंशुल ने कार्यक्रम की प्रशंसा कर संस्था की प्रगति हेतु शुभकामनाएं देते हुए अपनी रचना पढ़ी , स्मृतियों से तेरे मन में जब कुछ कुछ होने लगता है, तब तब मेरा अंतस भी प्यार बीज बोने लगता है…. जिस पर लोगों ने खूब तालियां बजाई ,इसी क्रम में कवियों ने अपनी-अपनी रचनाएं पढ़ी व लोगों को आत्म विभोर कर दिया श्री राम मिश्र तलब जौनपुरी ने पढ़ा, दुस्वारियों की डर से जुबां खोलता नहीं सच देखता तो हूं मैं, मगर बोलता नहीं …..,डॉ प्रदीप चित्रांशी ने रचना पढ़ी ,बैठ अहम की छांव में भूल गया इंसान, मीठे रिश्ते ही सदा देते हैं पहचान…., प्रदुम नाथ तिवारी करुणेश ने अपनी रचना पढ़ी ,राजनीति के ठेकेदारों भारत की वह शान कहां है, तुमको उत्तर देना होगा भारत देश महान कहां है…., डॉ वीरेंद्र तिवारी ने पढ़ा, मां ने एहसान कभी जताया है क्या ,कितने दुख सहे कभी बताया है क्या….., कविता उपाध्याय ने पढ़ा, सवेरे का सूरज तुम्हारे लिए है……, रचना सक्सेना ने पढ़ी, ये दुनिया तो जैसी है वैसी रहेगी तो खुद को बदलना सिखाना पड़ेगा…, संगीता भाटिया ने पढ़ी, मेरे जीवन की कविता पर तुम शीर्षक से सजे रहे….., विपिन दिलकश ने पढ़ा ,तुझे दे रहा हूं मैं क्या नहीं यूं गजल के सांचे में ढालकर ….,संजय सक्सेना ने पढ़ा , ये झगड़े ये फसाद ये मुकदमे क्यों है …..शंभू नाथ श्रीवास्तव ने पढ़ा, मधुर मधुमय मद भरा ये महकता मधुमास है …..,शैलेंद्र जय ने पढ़ा, जिंदगी थोड़ी सरल लिखता हूं …..,डॉ नीलिमा मिश्रा ने पढ़ी, सैकड़ों रंग के फूलों का यह गुलशन कर दो, मौसमें गुल की तरह से मेरा आंगन कर दो…… तत्पश्चात मुख्य अतिथि श्रीमती प्रमिला भारती ने कहा कि साहित्य समाज का दर्पण है हर काल परिस्थिति में समयानुकूल रचनाएं कवि ,साहित्यकार लिखते हैं और जब मंचों से उसका वाचन होता है तो जनमानस आत्म अवलोकन कर अपने अंदर परिवर्तन लाता है और मानवीय भाव से समाज व देश का विकास होता है यह विधा जीवन को आगे बढ़ाने वाली है इसके लिए आप सभी को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं व सम्मान के लिए मैं आभारी हूं कहते हुए अपनी रचना पढ़ी जो बड़ी ही मार्मिक रही कि एक सैनिक की पत्नी कहती है ,अबकी होली में आ न सके, कोई बात नहीं, कोई बात नहीं ……अंत में अध्यक्षता कर रहे राजकुमार शर्मा ने अपने कुछ संस्मरण सुनाते हुए सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया ,कार्यक्रम में शामिल प्रमुख लोगों में श्याम सुंदर सिंह पटेल, पंकज सिंह, राकेश भाटिया ,उमा सहाय ,विश्वज्योति, रीता मिश्रा, गीतिका उपाध्याय,कार्तिक, अर्नवीर खरे, गोल्डी पांडे ,शिवा त्रिपाठी आदि कई लोग शामिल रहे कार्यक्रम जलपान चाय नाश्ता के साथ खुशनुमा माहौल में संपन्न हुआ जिसकी सभी ने भूरी भूरी प्रशंसा किया