संविधान दिवस के सम्मान में कैंडिल मार्च 26 नवम्बर को
प्रयागराज 17 नवम्बर, संविधान के अनुच्छेद-17 अस्पृश्यता व छूआछूत मुक्त भारत देश बनाने, संविधान के अनुच्छेद-15 जातिविहीन भारत देश का निर्माण करने व संविधान के अनुच्छेद 39 (ख) जमीन और उद्योगों के राष्ट्रीयकरण के साथ साथ संविधान के अनुच्छेद-13 रूढ़िवादी प्रथा को समाप्त करते हुये वैज्ञानिक सोच पर आधारित समाज निर्माण करने हेतु एक ओर जहां संविधान दिवस (26 नवम्बर 1949) की 73 वीं वर्षगांठ के पावन अवसर पर हाईकोर्ट स्थित डा. अम्बेडकर मूर्ति स्थल पर दिनांक 26 नवम्बर 2022 को पूर्वाह्न 11 बजे से संविधान मेला व संविधान महोत्सव-2022 का आयोजन डा. अम्बेडकर क्लब, डा. अम्बेडकर वेलफेयर एसोसिएशन (दावा), देवपती मेमोरियल ट्रस्ट और प्रबुद्ध फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में किया जा रहा है तो वहीं संविधान दिवस के सम्मान में हाईकोर्ट स्थित डॉ. अम्बेडकर मूर्ति स्थल से पत्थर चर्च गिरजाघर, सुभाष चौराहा, पीडी टण्डन पार्क से अपने उद्गम स्थल तक शांतिपूर्ण ढंग से कैंडिल मार्च का आयोजन किया गया है।
कार्यक्रम के मुख्य संयोजक डा. अम्बेडकर वेलफेयर एसोसिएशन (दावा) के अध्यक्ष उच्च न्यायालय के अधिवक्ता आईपी रामबृज ने बताया कि पच्चासी प्रतिशत बहुजन समाज जब तक अपने अधिकारों का उपयोग संगठित होकर सत्ता हासिल करने के लिए नहीं करेगा तब तक अप्रत्यक्ष रूप से अंधविश्वास, पाखण्ड और कुरीतियों के मकड़जाल रूपी गुलामी की व्यवस्था से बाहर नहीं निकल पायेगा। इसलिए बहुजन समाज को सत्ता प्राप्ति के लिए संघर्ष करना होगा और इस हेतु जो भी सामाजिक, सांस्कृतिक और साहित्यिक रूप से संघर्ष कर रही संस्थाएं व संगठन है उनका साथ देना होगा। अगर साथ नहीं दे सकते तो उनकी संघर्षमय राहों में टीका टिप्पड़ी या टांग खिंचाई करके बाधा न बने क्योंकि ऐसी संस्थाएँ व संगठन अप्रत्यक्ष रूप से बहुजनों के हिस्से व उनके मान, सम्मान व स्वाभिमान के साथ साथ उनके हक अधिकारों के लिये संघर्ष कर रहे है।
दावा अध्यक्ष ने बहुजन समाज के सेवारत एवं सेवानिवृत्त अधिकारियों, कर्मचारियों से अनुरोध किया कि सेवा के साथ साथ जो अधिकारी, कर्मचारी अपने परिवार के साथ व्यस्त है उनका समाज के व उनके अनुज जो आज हासिये पर है वे अपने अनुज व समाज के लिये वक्त नहीं निकाल पा रहे है। समाज का कोई व्यक्ति यदि उन्हें निःस्वार्थ भाव से मुख्यधारा में लाने के लिए उन्हें अंधविश्वास, पाखण्ड और कुरीतियों से मुक्त कराकर विज्ञानवाद और डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर द्वारा प्रदत्त संविधानिक अधिकारों के विषय मे कैडर के माध्यम से जागरूक कर रहा है तो उसकी टांग खिंचाई के बजाय उसकी हर प्रकार से मदद करनी चाहिये।