सावित्रीबाई फुले को कार्यशाला के बच्चों ने किया याद
सावित्रीबाई फुले के सपनो को साकार करने का लिया संकल्प
प्रयागराज 03 जनवरी, लोग सावित्रीबाई फुले पर कीचड़ और पत्थर फेंकते रहे और सावित्रीबाई फुले भारत की बेटियों को शिक्षित करती गई। भारत देश की प्रथम महिला शिक्षिका, सामाजिक क्रान्ति की अग्रदूत, नारीमुक्ति आंदोलन की जनक, दलितों, पिछड़ों महिलाओ के लिए पहला स्कूल खोलने वाली भारत की प्रथम महिला, शिक्षिका, समाज सुधारिका, जातिवाद, अशिक्षा, अज्ञान के खिलाफ आजीवन संघर्ष करने वाली क्रांतिज्योति माता सावित्री बाईं फुले की जयंती पर प्रबुद्ध फाउंडेशन और राष्ट्रीय शिशु विद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में मम्फोर्डगंज स्थित राष्ट्रीय शिशु विद्यालय में सात से सत्रह आयु वर्ग के बच्चों के सृजनात्मक, कलात्मक और व्यक्तित्व विकास के लिये आयोजित प्रस्तुतिपरक शीतकालीन बहुजन बाल रंग कार्यशाला के प्रतिभागी पचास बच्चों ने सावित्रीबाई फुले को याद किया तथा उनके सपनों को साकार करने का संकल्प लिया।
कार्यशाला के संयोजक रंगकर्मी रंगनिर्देशक आईपी रामबृज ने विस्तार से सावित्रीबाई फुले के जीवन संघर्षों पर चर्चा किया। कार्यशाला के प्रतिभागी पचास में से पैंतीस बच्चियों ने जो कक्षा नौ व दस की छात्राएं है अपने जीवन मे सावित्रीबाई फुले के अधूरे सपने को पूरा करने का संकल्प लिया।
संजना, पूर्वी गौड़, चाहत, संध्या पटेल, शगुन जायसवाल, माही धुरिया, तनु सिंह, प्रेम प्रजापति, प्रियांशु, अंशु पाल, कार्तिक पाल, अंशिका शर्मा, अनुपम शर्मा, अंश केसरवानी, पुष्पेंद्र पाल, ग्रंथ केसरवानी, प्रियंका, जिज्ञासा, आयुषी, गौरी, सोनाली, प्रीत सिंह, अंबिका, नैना यादव, प्रियांशी, शालू, महक, तनु जयवाल, अमन, शिवम सरोज, मोहित, अभिषेक, आरती पाल, मुस्कान, सिमरन, खुशबू, सुनैना, लव सिंह, संस्कृति भारतीय, पूर्वी केसरवानी, सुरभि केसरवानी, एंजेल केसरवानी, रिद्धि भारतीय, अंशिका पटेल, शुभ केसरवानी, मानशी जयसवाल, श्वेता केसरवानी, नेहा कुमारी आदि उपस्थित रहे।