भारत केवल भूमि का टुकड़ा ही नहीं जीता जागता स्वरूप है
जीवन मे संतुलन बना रहे इसके लिए नवरात्रि एवं शक्ति उपासना की जाती है-जिला प्रचारक आलोक जी
शंकरगढ मे सैकडो़ की सख्यां मे स्यमंसेवको ने किया पदसंचलन,नगरवासियो ने किया पुष्पवर्षा
प्रयागराज। भारत केवल एक भूमि का टुकड़ा ही नही अपितु एक जीता जागता स्वरूप है। संघ का कार्य ईश्वरीय कार्य है। संघ के स्वयंसेवक बनने के लिए संघ के रीति नीति को समझना आवश्यक है।सनातन धर्म मे हजारो पर्व है। वर्ष प्रतिपदा, नववर्ष प्रतिपदा, संवत्सर उन पर्वो मे प्रमुख पर्व है। संवत्सर उत्पत्ति वर्ष गणना के लिए होती है। ॠतु,मास, तिथि आदि संवत्सर के ही अंग है। प्रत्येक संवत्सर का आरंभ चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से होता है। कल्प का प्रथम दिन, सतयुग के प्रारंभ होने का भी प्रथम दिन होने से इसे कल्पादि तथा युगाब्द भी कहते है। महाप्रतापी राजा विक्रमादित्य, शालिवाहन आदि के नाम से भी इसका नामकरण किया गया। सनातन धर्म के दृष्टि में चैत्र मास प्रतिपदा से ही व्रम्हा जी ने सृष्टि का प्रारंभ किया था। यह मास उत्पत्ति एवं प्रलय दोनो का विधान करता है। उक्त उद्गार जिला प्रचारक यमुनापार आलोक जी ने खण्ड शंकरगढ़ के वर्ष प्रतिपदा के बौद्धिक मे स्वयंसेवको को सम्बोधित करते हुए कहा। जिला प्रचारक ने आगे कहा हिन्दू नव-वर्ष प्रतिपदा प्रकृति के नवरूप मे परिणित होकर नवपुष्पो-फलो तथा नए पल्लवो से शोभायमान होकर नए वर्ष आगमन की सूचना देते है। जीवन मे संतुलन बना रहे इसके लिए नवरात्रि एवं शक्ति उपासना की जाती है। संघ २०२५ मे शताब्दी वर्ष मनाने जा रहा है। विश्व के तमाम आनुषंगिक संगठनों के साथ जन-जन तक संघ के विचारो का विस्तार करना ही स्वयं सेवको का प्रमुख दायित्व है। कार्यक्रम में गणगीत, एकल गीत,अमृतबचन, बौध्दिक के बाद स्वयंसेवको ने ध्वज प्रणाम कर प्रार्थना किया। पूरे नगर में पूर्ण गणवेश के साथ सैकड़ों स्वयंसेवको ने पथ संचलन किया। जिनका जगह-जगह नगरवासियों ने पुष्प वर्षा करते हुए स्वागत किया। अध्यक्षता राम खेलावन ने किया। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से खण्ड संचालक सूर्यकांत, जिला सहकार्यवाह अभिषेक,जिला बौध्दिक प्रमुख मुकेश,खण्ड कार्यवाह नरेंद्र, जितेन्द्र बहादुर,खण्ड प्रचारक आशुतोष, रमेश, प्रेमचन्द,अनूप कुमार, दिलीप कुमार, सुजीत आदि के साथ सैकड़ों स्वयं सेवको ने हर्षोल्लास के साथ भाग लेकर नववर्ष प्रतिपदा एवं नवरात्रि की एक-दूसरे को शुभकामनाएं दी।